बड़ी किल्लत यहां
बड़ी किल्लत यहां
1 min
11
बड़ी किल्लत यहां तहज़ीब तजुर्बों की
जिल्लत ज्यादती पे जाँ बुज़ुर्गों की।।
बूढ़े हुए के नहीं सब कुछ छिन जाता
बेगाना-पन गैरों के जैसे अपनों की।।
अहोदे छीन जाते जबरन जब तब
आहते अलग हो जाते बेचारों की।।
नज़रें चुभे जब दिल को शूल जैसा
जरूरत होती कहां औजारों की।।
माना जमाना बहुत बदल गया मगर
बलि चढ़ जाते बुजुर्ग बदलावों की।।
खुद ही खुद को बचाना होगा बामन
किसे पड़ी है यहाँ बूढ़े बुज़ुर्गों की ।।