*बड़ा दिल*
*बड़ा दिल*

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है दिल बड़ा, रखते हम यार।
नंगी ईंटों पर खुले में,
सो जाते हम पाँव पसार।
इन ईंटों से तामीर होकर,
होगा जब मकान तैयार।
तंग दिल वाले बसेंगे उसमें,
कर लेंगे सब बंद द्वार।
कुदरत के संग रहते-रहते,
सीख लिया हमने खुश रहना,
पर महलों में रहने वाले,
हमने देखे सदा ख्वार।
आबाद रहे ये महल चौबारे,
हम तो यही दुआ देंगे,
कल ऐसा ही ईंटों वाला,
बिस्तर कहीं बिछा लेंगे।
--एस.दयाल.सिंह--