बारिश
बारिश
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नहीं, बिल्कुल नहीं ।
मुझे बिल्कुल भी नहीं याद
आषाढ़ का कोई एक दिन
या सावन भादों की कोई रात ।
मुझे कोई विशेष दिन
कोई विशेष रात
बिल्कुल याद नहीं है !
याद है तो
बस इतना
कि ऐसी ही
किसी एक बरसात में
मिले थे तुम।
और
तब से आज तक
वर्षा की हर बूँद में
तुम साथ रहे हो !
मैंने किसी बारिश पर
कोई कविता नहीं लिखी ।
बस हर बूँद बूँद
महसूस किया है तुम्हें...
