बारिश की बूंदें
बारिश की बूंदें
एक ठंडी लहर जो तन को छूकर निकल गयी,
छाने लगी घटा आसमान में कहीं।
ये आगाज है शायद, मौसम के बदलने का
ये अहसास है शायद, मौसम के बदलने का।
हलचल करके फिर छलकने लगे बादल
जो मेरे तन और मन को कर गए पागल।
बूंदों की उस घड़ी में थी खुशियाँ मेरी शामिल।
ऐसा लगा मानो बादल बरस रहे हों मेरे लिए अभी।
पानी की एक एक बूँद कर रही थी शीतल तन और मन,
उन बूंदों के शोर से थिरकने लगा अंग- अंग।
इस खुशियों भरे मौसम ने खिला दी है चेहरे पे मुस्कान
मानो हर कोई समझ रहा हूँ बादल बरस रहे हो,
मेरे लिए सिर्फ मेरे आँगन मेरे लिए सिर्फ मेरे आँगन।