अरे, खोजो तो सही
अरे, खोजो तो सही
कोलाहल में, खो गये आदमी में,
अब शांत का इंसान, खो गया है।
लाभ के लोभ से, खाद्य चीज़ों में,
मिलौनी से रक्षामापन खो गया है।
अटके है नस्ति औ लटके बस्ती में,
सूने में भटका, अरे खोजो तो सही ।१।
लिपटी भावना से खेल कर वारंटी ने,
रैपर अंदर शुद्धता निशां खो दिया है।
जंगल में, इंसानियत का चोला ओढ़,
भेड़िया, ताल में जलकुंभी बो रहा है।
पैदावार की आड़ में खूर पतवार बन,
चूसता खून कोई, अरे खोजो तो सही।२।
आसमानी हवा को, नीचे जमीं नहीं दिखे,
धरा से जाने कहीं, रुहानी चांद खो गया है।
रिश्तों में निभती, रिवाज के पाक आड़ में,
छिप सांप कहीं विष तो नहीं उगल रहा है।
श्वासों को छोड़ने और लेने के बीच बैठकर,
हैवान शोषण करता हो, अरे खोजो तो सही।३।
