अपरिपूर्ण
अपरिपूर्ण
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मैंने राह देखी तुम्हारी
तुम रुके,
मिले,
मुसकुराए और
कुछ पल साथ रहे
बेइंतिहा बातें की
हम खुश थे,
पर तुम ठहरे नहीं
मैं अब तक इसी उलझन में हूं
इसीलिए कुछ कविताएं
अधूरी ही छोड़ देती हूं
हमारे रिश्ते की तरह।