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Sneha Srivastava

Others

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Sneha Srivastava

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अनसुना

अनसुना

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सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं

तुम जो यह सुन सको तो

फिर कभी लौटकर मत आना

सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं।

आहट अपनी इस घर में ही रखना

मेरी सीढ़ियों पर मत आना

यादों को विदा कर रही हूं

मेरी अर्थी पर तुम मत आना।

शब्द के कटार कलेजे में जो धसे है

तुम अपनी इस जीत पर जश्न मनाना

रखना सदा अब फासला मुझसे

मेरी जिंदगी में दखल देने मत आना।

सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं

तुम जो यह सुन सको तो

फिर कभी लौटकर मत आना

सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं।

सुना सको जिनको झूठ अपने

उनसे झूठ बोल- बोल कर खूब इठलाना

रखना ताक पर शर्मो हया

अपनी बेशर्मी पर खूब इतराना।

बंद कर लिए हैं दरवाजे मैंने

यह बात तुम जरूर छुपाना

जो दे सके शाबाशी तुमको

ऐसी महफिल में तुम जरूर जाना।

सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं

तुम जो यह सुन सको तो

फिर कभी लौटकर मत आना

सुनो तुम्हें अनसुना कर रही हूं।


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