अन्नपूर्णा!
अन्नपूर्णा!
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क़िस्मत न थी मेरी ऐसी।
क़िस्मत न है मेरी ऐसी।
पका भोजन परोसा मिल जाए,
समय पे क्षुधा आग बुझ जाए।
अन्नपूर्णा जो रुष्ट थी।
अन्नपूर्णा जो रुष्ट है।
हर रोज़ उपाय लगाऊँ,
हर रोज़ क्षुधा आग बुझाऊँ।
ख़ुद अन्नपूर्णा भी बन जाऊँ,
जब क्षुधा आग बुझा न पाऊँ।
अन्नपूर्णा जो कभी ख़ुश थी।
अन्नपूर्णा जो कभी रुष्ट है।
अन्नपूर्णा जो कभी सुस्त है।
