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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

अंजनी राहों में

अंजनी राहों में

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अनजानी राहों में,

सांय सांय हवाओं में,

अँधेरी रात जुगुनुओं के बीच,

चलना फ़ितरत तो नहीं,

मजबूर दर्द ए दिल,

उल्फतों के साये में...

कोई राग नहीं मन का,

बीती शाम सुबह गम का,

एक अफसाना एक फ़साना,

कोई अपना नहीं जग का...


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