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Mayank Kumar

Others

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Mayank Kumar

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ऐ जिंदगी

ऐ जिंदगी

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ऐ जिंदगी दीये की लौ न बन

तुझे समंदर सा बनना है

जितने भी है दर्द

उसे अपने अंदर की सहना है

तुम्हारे पीर का हिसाब

कभी न कभी वह भी देंगे

क्योंकि नदी बन उन्हें भी

किसी समंदर में ही मिलना है ! !



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