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Dr Baman Chandra Dixit

Others

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Dr Baman Chandra Dixit

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अधूरी तसल्ली

अधूरी तसल्ली

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तुझे आज मैंने तस्वीरों में उतारा है

आँखें मूंद चंद यादों को निहारा है।।


उन यादों से चुन कर सारे खूबियाँ

बड़े शिद्दत से तुझे हूबहू उकेरा है।।


खामोश निगाहों को लिखते लिखते

पिघलते अहसासों ने खूब पुकारा है।।


दूर तक फैली हुई नज़रों की लफ्ज़ को

महसूस की ख़ुश्क आवाजों में पुकारा है।।


ताकती थी जो आँखें आसमां को ऐसे

जैसे समेटे हो कोई मायूसी की पिटारा है।


फिर भी बहुत कुछ अनछुए रह गए

नाकाम कोशिशें ने हर बार दुत्कारा है।।


अधूरी ही सही मेरी तसल्ली हो तुम

सुकून है के तुझे तस्वीरों में उतारा है।।



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