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Raashi Shah

Others

5.0  

Raashi Shah

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आवाज़

आवाज़

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कोई स्वर जो कानों में गूँजे,

सदा समान नहीं होता।

यह दुनिया अनोखी है,

सभी जगह पृथक आवाज़ें हैं।

चाहे हो कोई मेला जहाँ मचा हो बहुत शोर​,

या कोई मधुर संगीत,

जो दिल को छू ले।

या कोई सुनसान सड़क​,

जहाँ खौफ़ से दिल ज़ोर​-ज़ोर से धड़के।

या किसी के शब्द​,

जो हमें प्रेरित करें।

आवाज़​, स्वर या ध्वनि,

चाहे कुछ भी कहे।

ये थे, हैं और रहेंगे,

जब से मनुष्य अस्तित्व में आए,

और जब तक इनका अस्तित्व मिटता नहीं।

क्योंकि जन्म तो हुआ है इनका भी,

मनुष्य के ही संग​,

शोर तो तब भी मचता है,

जब छिड़ जाए कोई जंग​।

परंतु प्रत्येक आवाज़ शोर नहीं,

ना ही प्रत्येक ध्वनि संगीत है।

संगीत तो वो ध्वनि है,

जो कानों को भाए।

और शोर वो है,

जो केवल मचाया जाए।

कान तो सब सुनते हैं,

शोर भी, संगीत भी,

और दूसरों के वचन भी;

परंतु यह सदा स्मरण रखना कि-

जो अच्छा है, उसे सुनकर​,

सदा स्मरण रखना चाहिए।

जो बुरा है,

वह सुनो तो नहीं,पर यदि सुन लो,

तो यह स्मरण रखो,

कि भगवान ने हमें दो कान दिए हैं,

एक से सुनकर​,

दूसरे से निकाल दो।


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