आओ बच्चो, तुम्हे दिखाये,
आओ बच्चो, तुम्हे दिखाये,
आओ बच्चों, तुम्हें दिखाये,
हम झांकी बापू के बलिदान की,
इस मिट्टी से तिलक करो,
यह धरती आज़ाद हिंदुस्तान की,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्.......
पोरबंदर में जन्मा,
साबरमति का संत था,
करमचंद - पुतली बाई की संतान,
वो तो आज़ादी का भक्त था,
सत्य- अहिंसा का लहू
उसकी रगों में बहता था,
फिरंगी के दिल भी हिलते थे,
जब ये लकुटी लेकर चलता था,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।
आओ बच्चों.......
अंग्रेजों की धरती पर जिसने,
आज़ादी का पहला बिगुल बजाया था,
ऐसा सत्याग्रह चलाया कि,
जन- जन को अपनी आवाज़ बनाया था,
कैसी ताक़त दिखलाई थी,
उस बूढ़े जर्जर शरीर से,
संगिने भी हार गई थी,
लाठी के उस फकीर से,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।
आओ बच्चों.....
गुलामी की शतरंज बिछाये,
दुश्मन वो तो बैठा था,
यूनियन जैक का तब,
चप्पा- चप्पा पहरा था,
उल्टी बाज़ी बापू ने,
चरखा का ऐसा सुदर्शन चक्र चलाया,
स्वदेशी का घर- घर में,
फिर परचम फहराया,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।
आओ बच्चों......
गोरों ने जब अपना ,
काला कानून बनाया था,
सोने की चिड़िया को,
उसकी ही धरती पर क़ैदी बनाया था,
बापू ने स्वराज की रण भेदी बजाई थी,
भारत छोड़ो की गजब तबाही मचाई थी,
बदल के रख दी इसने,
भारत की तक़दीर को,
झुकते है हम आज भी बापू,
तेरी ही तस्वीर को,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।
आओ बच्चों, तुम्हें दिखाये,
हम झांकी बापू के बलिदान की,
इस मिट्टी से तिलक करो,
यह धरती आज़ाद हिंदुस्तान की,
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।
फिल्म - जगृति
