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Mayank Kumar 'Singh'

Others

5.0  

Mayank Kumar 'Singh'

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आज की राजनीति

आज की राजनीति

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बहुत विडंबना है जी आज

कौन कब बिक जाएगा

पता ही नहीं चल पाएगा

कल तक था जो हीरालाल

वह पन्नालाल कब हो जाएगा...

औऱ जो था कल तक पन्नालाल

वह हीरालाल कब हो जाएगा...

पता ही नहीं चल पाएगा

बहुत विडंबना है जी आज


एक होटल में वर बैठा

एक होटल में बाराती

एक होटल में ससुर बैठा

एक होटल में अम्मा जी

देखो भैया ! सोर बहुत है

शादी है जो घर में आज

लेकिन पिछवाड़े के खिड़की से,

कहीं कोई ना आ जाए

वधु को ना भगा जाए

पता ही नहीं चल पाएगा

बहुत विडंबना है जी आज


इस शादी में वर एक है

वधु है कई सारी

शादी तभी संपन्न होगी

जब साथ आएंगे 145...

वधुएं बारी-बारी

तथा मांग की सिंदूर रेखा,

उस वर को बनाएंगे सारी

अगर एक भी रूठ गई तो,

वर कुँवारा रह जाएगा,

फ़िर एक बारी...!

पंडितजी भी चूक जाएंगे,

वचन दिलवाने से,

फिर एक बारी...!

और दूल्हा शरण में होगा,

सुप्रीम कोर्ट में बैठे,

बाबूजी के समक्ष,

फ़िर एक बारी...

परंतु, अब वधूएं,

किस घर की आंगन सजाएंगी ??

पता ही नहीं चल पाएगा

बहुत विडंबना है जी आज...! !


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