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Meenakshi Kilawat

Others

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Meenakshi Kilawat

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आई होली

आई होली

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आई होली आई उड़ा गुलाल है

झूम -झूम कर रंगो की आई बहार है

कैसा यह मतवाला फागुन का महीना

चारो ओर खुशियों का आया त्योहार है।


अंबिया महका, पलाश महका

महका सारा नज़ारा है

कोयल गीत गाये बाजे ढोल ताशे

जन-मन में उमंगे जागी जागी है।


पुलकित तन-मन रंगो का नूर

छाई अधर-अधर मुस्कान है

धरती हुयी रंगो मे रंगो नूर है

सब भूल गये उदासी के सूर है।


झूम रही है पेड़ों की डालिया

महक रही है फूलों की बग़िया

वारी-वारी नवरंगो की थारिया

सब गले मीले हमजोली है।


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