आधा जन्म
आधा जन्म
मैं देख पा रहा हूँ
कोई है मुझमें
जो झकझोर रहा है मुझे
पर मै रोक रहा हूँ
वो उठ खड़ा होना चाहता है
कुछ कहना चाहता है
पर मै रोक रहा हूँ
रोटी बिस्तरा गद्दे और तकिये में
इतनी ताकत है कि
मुझे डरा देते हैं
और मुझे पैदा होने से
पहले ही मार देते हैं
मैं आसमान चीर देना चाहता हूँ
धरती को फाड़ देना चाहता हूँ
कहना चाहता हूँ कि
अब बस करना चाहता हूँ
अपने ही पेट को बार बार पकड़ता हूँ
थोड़ी देर दबा कर बैठता हूँ
दर्द को बुझा देता हूँ
और फिर सामान्य हो जाता हूँ
पर ये आग है कहां मानती है
दोबारा फिर जागती है
बार बार, कई बार तो
मैं परेशान हो जाता हूँ
अपने घूमड़ते विचारों से
हैरान हो जाता हूँ
कई बार तो मैं अपना ही
शत्रु लगता हूँ
अकेले में उस विशाल छाया को
देखता हूँ
जो मेरे मस्तिष्क में है
उससे दोबारा मिलने से डरता हूँ
मैं एक अधजन्मा इन्सान हूँ
और अपने ही पेट से पैदा होना चाहता हूँ ।