हिंदी कवयित्री और कहानीकार शिक्षा: एम. ए. हिंदी और संस्कृत संप्रति: हिंदी लेखन - संपादन कार्य छह-सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सम्मान: विभिन्न साहित्यिक मंचों द्वारा विविध सम्मानों से सम्मानित।
एकाकी मैं रह गई, कैसा यह व्रजपात। मन मेरा अब रिक्त है, मन में झंझावात।। एकाकी मैं रह गई, कैसा यह व्रजपात। मन मेरा अब रिक्त है, मन में झंझावात।।
गौरवशाली है निज संस्कृति, गढ़ती थी संस्कार। पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, अनुपम है उपहार।। गौरवशाली है निज संस्कृति, गढ़ती थी संस्कार। पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, अनुपम है ...
समां बड़ा ही सुहावना मौसम है बड़ा मतवाला।। समां बड़ा ही सुहावना मौसम है बड़ा मतवाला।।
नारी के अपमान पर, क्यों सब थे चुपचाप। चौसर की बाजी नहीं, फिर भी करते पाप।। नारी के अपमान पर, क्यों सब थे चुपचाप। चौसर की बाजी नहीं, फिर भी करते पाप।।
उलाहना दे कृष्ण को, दिल से निकले आह।। उलाहना दे कृष्ण को, दिल से निकले आह।।
राधा-सा स्मरण में झुलस रहा तन-मन बैरागिन होकर विचर रहती मैं बन-बन। राधा-सा स्मरण में झुलस रहा तन-मन बैरागिन होकर विचर रहती मैं बन-बन।
संघर्ष भट्ठी पर प्रतिदिन ही जलते किसान प्राकृतिक आपदाओं में भी थामे रहें कमान। संघर्ष भट्ठी पर प्रतिदिन ही जलते किसान प्राकृतिक आपदाओं में भी थामे रहें कमान...
यादें पल-पल बदलती ही रहती हृदय को मेरे झकझोरती जाती। यादें पल-पल बदलती ही रहती हृदय को मेरे झकझोरती जाती।
परंपरा को भूलने से ही नित हमारा है पतन स्वीकार करने से इससे हो न कभी भटकन।। परंपरा को भूलने से ही नित हमारा है पतन स्वीकार करने से इससे हो न कभी भटकन।।