परिचय पूनम सिंह मै दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूँ। हिंदी साहित्य में स्वतंत्र लेखन करती हूँ। कहानी, लघुकथा एवं कविता आदि विधाओं में मेरी लिखित कई रचनाएं भिन्न भिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है।
सुकूँ के पल लिख दूँ एक गरीब की पेट पर रोटी लिख दूँ सुकूँ के पल लिख दूँ एक गरीब की पेट पर रोटी लिख दूँ
कतरन कतरन मेरी कविता ढलती रही हर रूप रंग में... कतरन कतरन मेरी कविता ढलती रही हर रूप रंग में...
" राम " हैं बीज मंत्र जिसने ये साध लिया उसने भवसागर पार पा लिया। " राम " हैं बीज मंत्र जिसने ये साध लिया उसने भवसागर पार पा लिया।
अपने बच्चों को थाली में परोसती हैं जीवन चलने के लिए कुछ साँसे अपने बच्चों को थाली में परोसती हैं जीवन चलने के लिए कुछ साँसे
मंज़िल को पा ही लोगे जो तुम रहो पुरो होशो हवाश में ... मंज़िल को पा ही लोगे जो तुम रहो पुरो होशो हवाश में ...
सर्द हवाओं की सौगात और इस मधु मास में प्रदूषण सर्द हवाओं की सौगात और इस मधु मास में प्रदूषण
साकार करें कुछ संकल्प लें.. . प्रेम बांटे... साकार करें कुछ संकल्प लें.. . प्रेम बांटे...
तुम सुन रहे हो ना उसकी सरसराहट तुम सुन रहे हो ना उसकी सरसराहट
एक दिव्य चेतना जागृति हुई और प्रिय तुम मेरे मन मंदिर के मधु मास हुए एक दिव्य चेतना जागृति हुई और प्रिय तुम मेरे मन मंदिर के मधु मास हुए
जो कश्मीर में किसी बंदूक का शिकार हो गया...। जो कश्मीर में किसी बंदूक का शिकार हो गया...।