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पैरों में आई थकान , रात-भर अपनों संग नाच के बुलाई थी। पैरों में आई थकान , रात-भर अपनों संग नाच के बुलाई थी।
कहाँ मिलती है वो खुशबू जो सारे बाग़ में महके, कहाँ मिलती है वो खुशबू जो सारे बाग़ में महके,
सुना था बिना अनुभव सत्य प्रत्यक्ष नही होता। सुना था बिना अनुभव सत्य प्रत्यक्ष नही होता।
हम किसी रंगमंच के कलाकार नही। हम किसी रंगमंच के कलाकार नही।
न शोर है, न होड़ है ये मन बड़ा अशांत है विराग है, विलाप है, ये व्यर्थ का प्र्लाभ है| न शोर है, न होड़ है ये मन बड़ा अशांत है विराग है, विलाप है, ये व्यर्थ का ...
सच कमज़ोर नहीं, लेकिन झूठ पर जीत पाने के लिए साथ कुछ बहाना भी ज़रूरी है। सच कमज़ोर नहीं, लेकिन झूठ पर जीत पाने के लिए साथ कुछ बहाना भी ज़रूरी है।
मोहब्बत में चाहत को जूनून बनते देखा है नफ़रत में दर्द को आक्रोश बनते देखा है। मोहब्बत में चाहत को जूनून बनते देखा है नफ़रत में दर्द को आक्रोश बनते देखा है।
उस यात्री को तुम सा हमसफ़र चाहिए, उस राह को तुझ सा एक राहगीर चाहिए। उस यात्री को तुम सा हमसफ़र चाहिए, उस राह को तुझ सा एक राहगीर चाहिए।
यहाँ हर साँस में एक चीख़ दबी रहती है ऐसे में फिर कैसे तू यहाँ से यूँ गुज़रती है। यहाँ हर साँस में एक चीख़ दबी रहती है ऐसे में फिर कैसे तू यहाँ से यूँ गुज़रती है...
तुम में ही कहीं, वो सही है पर तुम भेड़ों के झुंड में घुसे जा रहे हो। तुम में ही कहीं, वो सही है पर तुम भेड़ों के झुंड में घुसे जा रहे हो।