Search google dharm veer raika poem and read pratilipi. In 9116927723
वो बुझी आग फिर से धधक रही ,<br>देख– देख यह पगडंडी मंजिल को जाती है, <br>कह दो अंधियारों से फिर ... वो बुझी आग फिर से धधक रही ,<br>देख– देख यह पगडंडी मंजिल को जाती है, <br>कह ...
शहर में बस गया मैं भी , गांव में परेशान देख तुझको , शहर में बस गया मैं भी , गांव में परेशान देख तुझको ,
कम किराए में नैया से समंदर पार करवा देंगे , बैठे बैठे कब तक खोओगे, तुम ! कम किराए में नैया से समंदर पार करवा देंगे , बैठे बैठे कब तक खोओगे, तुम !
तुम मेरी लालटेन की बत्ती हो , चलती कलम की तीखी नोक हो, तुम मेरी लालटेन की बत्ती हो , चलती कलम की तीखी नोक हो,
बिना पुकारे एक दिन आऊॅंगी, सब यहीं छुड़वा कर ले जाऊंगी। बिना पुकारे एक दिन आऊॅंगी, सब यहीं छुड़वा कर ले जाऊंगी।
भारत माता की सीमा से, हाथ में झंडा लेकर हिंद का वासी बताऊं, भारत माता की सीमा से, हाथ में झंडा लेकर हिंद का वासी बताऊं,
स्थाई रखना इन पन्नों से, यादें में पागल होना प्यार से, स्थाई रखना इन पन्नों से, यादें में पागल होना प्यार से,
आम नहीं बहुत खास है दोस्ती एक एहसास है। आम नहीं बहुत खास है दोस्ती एक एहसास है।
टूट रही जवानी की बाते कैसे तुमको कह दूं क्यों नही सुनती मेरी बाते मैं प्रखर चढ़ गया। टूट रही जवानी की बाते कैसे तुमको कह दूं क्यों नही सुनती मेरी बाते मैं प्रखर च...
बिना चांदनी कैसा लगता है, मुझसे पुछो बिना दोस्त सब सुनसान लगता है। बिना चांदनी कैसा लगता है, मुझसे पुछो बिना दोस्त सब सुनसान लगता है।