माँ, अध्यापन, बौद्धिकता मानसिक खुराक है।
श्रमिक को पुनः बुलाया है गाँव की गोदी ने श्रमिक को पुनः बुलाया है गाँव की गोदी ने
मुझे आज भी तलब माँ के गोदी की लगती है। मुझे आज भी तलब माँ के गोदी की लगती है।
जी ! लो बन चला रसाल, खट्टे करके दाँत।। जी ! लो बन चला रसाल, खट्टे करके दाँत।।
ये सारे दुनिया भर के बैद, सिपाही निर्मल कर्मी बरफ के शीतल क्षार ही हैं। ये सारे दुनिया भर के बैद, सिपाही निर्मल कर्मी बरफ के शीतल क्षार ही हैं।
बीमारी से खुद को बचाना है जी, करोना के मौसम में। बीमारी से खुद को बचाना है जी, करोना के मौसम में।
उनके हर राज़ से वाकिफ हैं हम हमराज़ बनी वक्त की लहर आ गई। उनके हर राज़ से वाकिफ हैं हम हमराज़ बनी वक्त की लहर आ गई।
मैंने तुमसे हल्दी औ' चून का मेल रचाया है। मैंने तुमसे हल्दी औ' चून का मेल रचाया है।
घर लौटने वाले बुद्ध का पता आपको ज्ञात है धवल केश सब जानते हैं। घर लौटने वाले बुद्ध का पता आपको ज्ञात है धवल केश सब जानते हैं।
इंसानियत इल्म की छलांग लगाती है इन्हीं कब्रों से होकर इंसानियत इल्म की छलांग लगाती है इन्हीं कब्रों से होकर
मीठा बोलो तो दुनिया तुम्हारी मीठा खाओ फिर दुनिया के तुम नहीं । मीठा बोलो तो दुनिया तुम्हारी मीठा खाओ फिर दुनिया के तुम नहीं ।