धारण करती है, आकृति गढ़ती है,
स्वरूप देती है, खड़ा करती है
जीवन के समक्ष जीव नया
माँ है
छुपा लेती है आँचल में उतारती है मेरी नज़र
मेरे मसलों का क्या खूब माँ ने हल निकाला है।
छुपा लेती है आँचल में उतार देती है मेरी नज़र
मेरे मसलों का क्या खूब माँ ने हल निकाला है