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ख़ुद को ऐसे साबित करना पड़ता है जूं पानी से आग जलाना पड़ता है। ख़ुद को ऐसे साबित करना पड़ता है जूं पानी से आग जलाना पड़ता है।
रास आने लगे काले बादल मुझे धूप जां पर न हो वां पर ले चल मुझे। रास आने लगे काले बादल मुझे धूप जां पर न हो वां पर ले चल मुझे।
फूल सदाएँ देते हैं हर बार उसे मैं ले जा सकता हूँ दरिया पार उसे। फूल सदाएँ देते हैं हर बार उसे मैं ले जा सकता हूँ दरिया पार उसे।
तीरगी है , ख़ामुशी है , रात है इश्क़ है, हाँ आशिक़ी है, रात है। तीरगी है , ख़ामुशी है , रात है इश्क़ है, हाँ आशिक़ी है, रात है।
मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए न चमक यूँ के ये आसानी न चली जाए। मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए न चमक यूँ के ये आसानी न चली जाए।
वो जब चाहे सहरा में बरसात बुला लेता है। वो जब चाहे सहरा में बरसात बुला लेता है।
अगर माज़ी के ग़म से आँख ये पुर-नम न हो तो हक़ से छेड़ वो सरगम जो फिर मद्धम न हो। अगर माज़ी के ग़म से आँख ये पुर-नम न हो तो हक़ से छेड़ वो सरगम जो फिर मद्धम न हो।
दरख़्त पे नए समर आने को हैं अभी मुकर नहीं अभी मुकर नहीं। दरख़्त पे नए समर आने को हैं अभी मुकर नहीं अभी मुकर नहीं।
एक मंजर जो धुँआ होता हुआ शम्अ-ए-उम्मीद ले जाता हुआ। एक मंजर जो धुँआ होता हुआ शम्अ-ए-उम्मीद ले जाता हुआ।
तामीर करो घर घर जैसा, घर वो जिस में दीवार न हो। तामीर करो घर घर जैसा, घर वो जिस में दीवार न हो।