मेरी हमराही कलम स्याही !!!
शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में। शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में।
जीव जंतु भी चिंतित है, देखकर कला अद्भुत।। जीव जंतु भी चिंतित है, देखकर कला अद्भुत।।
कवर है कवर है
इन दिनों इस पल, मैं झूम उठा हूं ! और चूम लिया हूं इन हवाओं को, इन दिनों इस पल, मैं झूम उठा हूं ! और चूम लिया हूं इन हवाओं को,
इस कलयुग में मीरा बनकर नारी, ढूंढ रहे हैं कृष्ण को । इस कलयुग में मीरा बनकर नारी, ढूंढ रहे हैं कृष्ण को ।
वह जगत परी सी शैने - शैने । मेघ रथ में आती हैं, निशा बंधन को मुक्त करती ।। वह जगत परी सी शैने - शैने । मेघ रथ में आती हैं, निशा बंधन को मुक्त करती...
एक बड़ा भौरा सुबह- सुबह , गीत गाता गुनगुनाता रे । एक बड़ा भौरा सुबह- सुबह , गीत गाता गुनगुनाता रे ।
जनता में अब महामारी, फैल रही थी मंद मंद । जनता में अब महामारी, फैल रही थी मंद मंद ।
बड़े विचार बड़ी सोच बड़ी उम्मीदों, के संग चल रहा हूं हर पल बड़े विचार बड़ी सोच बड़ी उम्मीदों, के संग चल रहा हूं हर पल
इस वर्ष हमें सबसे ज्यादा चाहने वाला मेरा मीत रहा।। इस वर्ष हमें सबसे ज्यादा चाहने वाला मेरा मीत रहा।।