@pt-sanjay-kumar-shukla

Pt. sanjay kumar shukla
Literary Colonel
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मेरी हमराही कलम स्याही !!!

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कुछ लोगों में मैंने देखा है कि दगाबाज उनकी आदत होती हैं । चाहे वह प्रेम के साथ हो या अपनी किसी एक जिगरी दोस्त के साथ और धोख देने के बाद पछतावा करना सबसे "बड़ी भूल" जो दुबारा मिल भी जाए तो वह रिश्ता मजबूत होकर भी एक जली हुई रस्सी की तरह कमजोर होती हैं ।

I feel better now when I'm meet with you, I'm to happy, when I'm talk with you..

गुरूर है मुझे तेरे इश्क में, तेरा इस तरह छोड़कर जाने का । आज अमर रहेगी ए कहानी, बेवफा होती है इश्क जमाने का ।।

जीना नामुमकिन है फिर भी जी रहे हैं, हम तेरे गम के सहारे । आंसू की एक -एक बूंद में तेरी यादें हैं, टूट चुके हैं हम बिन तेरे सहारे ।। है जालिम जगत के लोग, कर गए खाक इश्क हमारे । छोड़ गए हमे महबूब , गिनने के लिए गम के तारे ।। क्या बता सकती हैं कब तक जीना है? यूं तेरे गम के सहारे । जमाने की यह कटीली जंजीर में ही बितानी पड़ेगी, शायद जिंदगी तेरे गम के सहारे ।।

दस्तक ईश्क की कोई दे रहा है, जैसे सुराही में इश्क का जल भरे है । पीने वाला कोई नहीं, और हम इश्क से ही परे हैं ।।


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