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जीना...

जीना नामुमकिन है फिर भी जी रहे हैं, हम तेरे गम के सहारे । आंसू की एक -एक बूंद में तेरी यादें हैं, टूट चुके हैं हम बिन तेरे सहारे ।। है जालिम जगत के लोग, कर गए खाक इश्क हमारे । छोड़ गए हमे महबूब , गिनने के लिए गम के तारे ।। क्या बता सकती हैं कब तक जीना है? यूं तेरे गम के सहारे । जमाने की यह कटीली जंजीर में ही बितानी पड़ेगी, शायद जिंदगी तेरे गम के सहारे ।।

By SONZU SHUKLA
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