विचारो के मोती एक सूत्र में पिरोकर ख़ूबसूरत बनाने के कोशिश करती हुई एक मुक्त लेखिका।
जब समय ने खेल खेला, कौन तेरे साथ झेला जब समय ने खेल खेला, कौन तेरे साथ झेला
भाँति-भाँति के छल करके क्या दुनिया को दिखला दोगे? भाँति-भाँति के छल करके क्या दुनिया को दिखला दोगे?
यहाँ-वहाँ टुकड़ों में मिलूँगी मेरे आसमान में बिखरी-सी। यहाँ-वहाँ टुकड़ों में मिलूँगी मेरे आसमान में बिखरी-सी।
घर में निहित माँ का मातृत्व और पिता की आशीष साक्षात होता है। घर में निहित माँ का मातृत्व और पिता की आशीष साक्षात होता है।
घर में छुपा माँ का मातृत्व और पिता का आशीष, साक्षात होता है। घर में छुपा माँ का मातृत्व और पिता का आशीष, साक्षात होता है।
बस एक ही ख़याल दिमाग में रहा इस तरह कैसे कोई बेवफा हुआ बस एक ही ख़याल दिमाग में रहा इस तरह कैसे कोई बेवफा हुआ
बेरंग पड़ गए है बटन तह की निशानियाँ जमी है धूप लगेगी इसे इस साल भी! बेरंग पड़ गए है बटन तह की निशानियाँ जमी है धूप लगेगी इसे इस साल भी!
पिसती रही समय की चक्की में, बनती रही और निखरती रही पिसती रही समय की चक्की में, बनती रही और निखरती रही
ये कभी उदास, कभी बदहवास और कभी-कभी एक अजब प्यास ये कभी उदास, कभी बदहवास और कभी-कभी एक अजब प्यास
तुम्हारे होने पर मोक्ष की चाह भी मिटती होगी, तुम्हारे होने पर मोक्ष की चाह भी मिटती होगी,