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मैं हर लम्हा तुम्हें याद करूँ, क्या तुम्हें मंज़ूर है? मैं हर लम्हा तुम्हें याद करूँ, क्या तुम्हें मंज़ूर है?
क्या तुम भी इतना तड़प रहें हो? जितना मैं भी तड़प रही हूँ। क्या तुम भी इतना तड़प रहें हो? जितना मैं भी तड़प रही हूँ।
एक लम्हा किसी को भी, शायर बना सकता है. एक लम्हा किसी को भी, शायर बना सकता है.
फिर लोग हर मंज़िल का रास्ता, इतना मुश्किल क्यों समझते हैं, क्यों? फिर लोग हर मंज़िल का रास्ता, इतना मुश्किल क्यों समझते हैं, क्यों?
बैठे हुए सोच रही थी, रास्ता क्या है मंज़िल का ? बैठे हुए सोच रही थी, रास्ता क्या है मंज़िल का ?
ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती. ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती.
मंज़िल ढूढ़ना आसान है, उसे पाना बहुत मुश्किल है। मंज़िल ढूढ़ना आसान है, उसे पाना बहुत मुश्किल है।
जिनकी वजह से आज उस मुक़ाम पर तो हो, जिसमें मुझे लोग देखना नहीं चाहते जिनकी वजह से आज उस मुक़ाम पर तो हो, जिसमें मुझे लोग देखना नहीं चाहते
हम इश्क़ का सबक सीख रहे थे उनके हाथों से जाम पी रहे थे! हम इश्क़ का सबक सीख रहे थे उनके हाथों से जाम पी रहे थे!
मासूमियत थी उसके चेहरे पर आँखों में सुकून था! मासूमियत थी उसके चेहरे पर आँखों में सुकून था!