अदरक तुलसी वाली देसी चाय
अदरक तुलसी वाली देसी चाय
तबियत कुछ नासाज़ थी। बिस्तर से उठने का मन नही कर रहा था। ऐसे में हमारी तबियत खराब होने के कारण आज पूरा घर मिल कर चाय बना रहा था और दूर बिस्तर पर लिहाफ में घुसी मैं सब कुछ देख रही थी।चूल्हे पर चढ़े चाय के पानी के खौलने के साथ हमारे विचारों का उबाल भी तेज़ी पर था। गैस धीमी कर पानी का खौलना कुछ कम किया गया और ठंडी आह भर कर मैने विचारों का। तभी चाय में अदरक के सुगन्धित पर चरपरे स्वाद की तरह इनकी बातें दिमाग मे दौड़ने लगी।
इतने में प्यारे से सबके दुलारे देवर जी ने आ कर तुलसी की पत्ती चाय के पानी मे डाल कर बता दिया कि अच्छे स्वास्थ्य के लिये थोड़ा हँसना हँसाना भी जरूरी है और यह काम देवर ही कर सकता है ।
बेटे ने उबलते पानी में प्यारी सी स्वभाविक मिठास वाला गाढा दूध मिला कर विचारों में प्यार का रंग घोल दिया। चूल्हे की आँच फिर से तेज़ कर दी गयी मेरे भी विचारों में फिर से उबाल आने लगा।
तभी देखा कि छोटी ननदिया ने आकर दूध मिले पानी में चाय की पत्ती डाल कर अपना रंग घोल कर चाय के स्वाद में अपनी महत्ता जता दी। संयुक्त परिवार मे पलते मीठे रिश्तों की तरह देसी स्वाद की बढ़िया खुशबू वाली चाय तैयार थी। प्याले मे चाय डालने के तैयारी थी।
बिटिया ने प्यारी सी मीठी मुस्कान के साथ एक चम्मच चीनी डालने के लिये जो हाथ बढ़ाया तभी बहू ने शुगरफ्री आगे कर दी। मैने प्यार से बिटिया को गले लगाते हुये कहा कि जीवन भर खूब चीनी खाई अब तुझको ससुराल भेजने के बाद मुझे अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिये चीनी कम कर के शुगरफ्री का साथ देना होगा। और मैं मुस्कुराते हुये अदरक तुलसी के स्वाद वाली गाढ़े दूध की शुगरफ्री वाली चाय ले कर बहू ,बेटी ,देवर ,नन्द के साथ पतिदेव के हाथों बनी चाय की चुस्कियाँ लेने लगी ।