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बेटा

बेटा

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एम बी ए करनें के लिये हॉस्टल मे रह रहे बेटे की माँ को रह रह कर ना जानें क्यों बहुत याद आ रही है जब कि पता है कि अब उसको दो साल तक दूर ही रहना और खाना पीना है ।आज तो बेटे को छुट्टियों मे घर आना है सोचा पनीर ले आऊँ उसे अच्छा लगता है कुछ बना दूँगी ।शाम के समय बेटा घर आया तो लगा कि रौनक़ घर आई ।हाँ तो बेटा क्या खाओगे तुमने कहा था तो मै पनीर ले आई अब बताओ तुम्हारे मन में क्या है मैं वैसे ही बनाऊँगीं।बेटे ने रसोई की ओर जाती माँ को दोनो हाथों से पकड़ कर प्यार से नचाते हुये कुर्सी पर बैठा दिया बोला माँ तुम तो रोज ही रसोई मे काम करती हो आज मैं अपने स्टाइल से पका कर तुम्हे खिलाऊँगा ।माँ बोली बेटा लोग तो घर में माँ के हाथ से पका खाना खाने को तरसतें है और तुमको फोन पर हमारे हाथ से बने व्यन्जन की फ़रमाइश कर रहे थे ।और तुमने पहले से बनाने के लिये रोक दिया था बरना मैं तो पका कर तैयार करके रखती ।अम्मा इसी लिये तो रोका था मै अपने हाथ से पका कर तुम सबको खिलाना चाहता था ।अब माँ मजबूर हो कर बैठ गयी ।अब जिसकी जिन्दगी ही रसोई घर में सबकी खुशी के लिये कुछ ना कुछ पकाते गुजर गयी हो उसे यूँ बैठा रहना भी खल रहा था ।कुछ समय के बाद बेटा हाथ मे प्लेट नचाते हुये लेकर आया बोला लो अम्मा जरा चख कर बताओ । पर यह है क्या ।अब इसका स्वाद लेकर नामकरण तुम कर दो हमारी प्यारी अम्मा ।और फिर माँ स्वाद लेकर व्यंजन का नाम सोंचने लगी ।



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