बीमार भास्कर की हिम्मत
बीमार भास्कर की हिम्मत
"मैं जंगल का राजा हूँ सभी जंगलवासियों को मेरे नियमों का पालन करना ज़रूरी है...."
चालाक लोमड़ी - "ठीक है दादा , मैं आपके सभी एशो आराम का ध्यान रखूँगी।" शेर ने कहा -"ठीक है।"
एक बार की बात है कि हाथी के एक महीने के बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई । हथिनी माँ बहुत चिंतित थी। दोनों माता-पिता शेर पास मदद के लिए आए। उन्होंने लोमड़ी को अपने बच्चे के बीमार होने के बारे में बताई। लोमड़ी बोली अभी शेर दादा का ये आराम का वक्त है, इसलिए वो अभी किसी से नहीं मिलेंगे। इतने में कुछ शिकारी जंगल में आ गए और उन्होंने जाल फेंका। जाल में पीकू खरगोश, हाथी और लोमड़ी फँस गए । सभी जानवर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे। बचाओ ... बचाओ......
जानवर साथियों की चिल्लाने की आवाज़ सुनकर शेर दादा की नींद खुल गई, वो गुफा से बाहर आए। शेर दादा अपने सभी साथियों को जाल फंसा देखा तो तेजी से दहाड़े । इतने दूसरे शिकारी ने शेर दादा पर गोली चला दी , जो शेर दादा को छूकर निकल गई। गोली की आवाज़ सुनकर बीमार हाथी का बच्चा दौड़ा और शिकारी जोकि दुबारा गोली चलाने वाला था , जोर से टक्कर मारी । हाथी के बच्चे की टक्कर से शिकारी का सिर पत्थर से जा टकराया और वो वहीं पर ढेर हो गए।
यह देखकर शेर दादा ने दूसरे शिकारी पर तुरंत हमला बोल दिया उसे लहूलुहान कर दिया। वह शिकारी तो किसी तरह जान बचाकर भाग गया।इस प्रकार जंगल के सबसे छोटे की मदद से शेर दादा अपने साथियों को बचाने में सफल हो गए। उन्होंने तुरंत बीमार हाथी के बच्चे का इलाज कराया और उस बच्चे को बहादुरी का पुरस्कार भी दिया। आगे भविष्य में हाथी पिता को अपना मंत्री बना दिया , जो सभी साथियों की समस्या को सुलझाने में मदद करते थे। अब जंगल में खुशहाली ही खुशहाली थी।