कविता (याद)
कविता (याद)
पहेली बार देखा ए प्यार तुम्हारा,
लगा की खुदा हम पे मेहरबान हो गए,
तेरी एक मुस्कान से ज़िन्दगी खुशनुमा हो गई,
इस कदर हम सवर गए चाहत मे तेरी.
प्यार सामने था, हम तरस गए चाहत में उनकी,
बेकरार दिल को हम संभाल न पाये,
लफ्ज़ बावरे से हो गए ,यादों मैं उनकी.
तेरे ख़्याल मैं सब लुटा चुकै हम,
सुकुन देने वाली चांदनी क्यों दिल जला गई.
हँसी तेरी बारीश जैसी,
हम न जाने कैसे भीग गए,
प्यार मैं तेरे.
जानते भी लोग क्यों गलती करते है,इश्क की,
हमने दुनिया की घटिया हकीकत से वाकिफ़ हो गए.
खुदा हमको बुला ले तेरे घर,
भुला दो हमको ए बात
की कभी प्यार करने की भुल की थी