छलकता छपछपाता बचपन
छलकता छपछपाता बचपन
माता ने दिया है जीवन का अमूल्य उपहार,
छलकता छपछपाता बचपन इसमें है सर्वश्रेष्ठ समाहार|
सुनहरे बचपन का हर पल है एक मधुर स्मृति,
एक दूसरे के ऊपर पानी छपछपाना है एक अविस्मरणीय अनुभूति|
बच्चों को पानी में खेलना है बहुत पसंद,
जल का कलकल नाद है सदा मनपसंद|
जब भी मिले जलाशय जाने का सुयोग संजोग
एक दूसरे पर पानी छिड़कना है एक बेहतरीन संयोग
प्रतिवर्ष के धारपत वृष्टिपात में भीगना है एक आनंददायक समय
फिर कभी वापस न आएगा यह अभूला बीता हुआ समय
निर्भय होकर बच्चे खेलते हैं पानी के अंदर,
सेहत बिगड़ने का भय नहीं रहता उनके मन के अंदर
बालक बालिकाओं का जल में रहता है निश्चिन्त खेल का बेला
बहुत बरसों बाद मन ख़ुशी पाए याद करके हरेक बहुमूल्य बेला
बचपन के दोस्त जलक्रीड़ा में रहते हैं पुलकित प्रफुल्लित
सर्वव्यापी श्रीजगन्नाथ जी प्रस्तुत यह निष्कपट निश्छल काल है सदा अमोदासक्त