देख के देखती सी रहती है
देख के देखती सी रहती है
1 min
354
ज़िन्दगी क्यों बुझी सी रहती है
आँख में कुछ नमी सी रहती है
ख़्यालों के आँगन में कहीं गुम सी
ज़िन्दगी अजनबी सी रहती है
बेवफ़ा ज़िन्दगी में होके भी
बेवफ़ा बे-दिली सी रहती है
आह दिल की मेरी भी सुन लेती
देख के देखती सी रहती है
कुछ खुला सा है मेरे भी दिल में
रौशनी बाँटती सी रहती है
ज़िन्दगी के सवाल हल करते
ज़िन्दगी यक-फनी सी रहती है
सोंच का फ़र्क होता है आकिब'
दिल में तो तिश्नगी सी रहती है