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Nisha Gupta

Others

4.7  

Nisha Gupta

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कर्मयोगी श्री कृष्ण

कर्मयोगी श्री कृष्ण

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छोड़ो कान्हा सौत मुरलिया 

काहे अधर सजाते हो । 

ये तो मुझको बैरन लगती 

काहे मुझे सताते हो ।


बैठ अधर पर तुमरे मुरली 

जीवन राग सुनाती है ।

प्रेम ,प्रेम गाती रहती वो

मन मेरा हुलसाती है ।


कान्हा छुडूं न बाँह तुम्हारी

जाने तुम्हें नहीं दूँगी 

तुमने प्रीत सिखाई कान्हा

कैसे जीवन काटूंगी ।


राधा मुझको जाना होगा

अब प्रेम पथ विस्तार किया

कर्म पथ की आ गई बारी

अब वो मुझे सजाने दो ।


लौटूंगा फिर कभी न राधा

तुमको ये बतलाना है ।

आँचल प्रेम तुम्हारे भर कर

मुझे शूल पथ जाना है ।


मेरी प्रियवर सांसो में तुम 

सारा काम तुम्हारा है 

मुझसे पहले नाम तुम्हारा 

अब मेरे सँग आता है ।


बढ़ चला हूँ अब कर्म-पथ पर 

तुम रहो प्रेम-पथ राधा

छोड़ो राधा बहिया मेरी 

जीवन लक्ष्य है कुछ साधा ।



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