ओ साथी मन के....
ओ साथी मन के....
ओ साथी मन के
दूर दूर है हम इक दूजे से
ये मन है उदास उदास सा
नींद चैन कहीं खो सी गयी है
ना ही कलम साथ निभाती है
ना ही कोई इच्छा मन में रही अब
तुझसे ही नही सब से जुदा हम हो गए है
ओ साथी मन के क्यों सब से खफा हो गए हम
आ लौट आ तू फिर से जीवन मे
खुशियां हमारी हमको लौटा दे
तेरे बिन बिन तेरे ये जिया ना लागे रे
दिल तो बच्चा है बड़ा ही सच्चा है
बड़ा ही कच्चा है किसी की सुनता नही
दिल तो बच्चा है बड़ा ही ज़िद्दी है
ज़िद्द ये अपनी हर पल मनवाता है
दिल तो बच्चा है हर पल लड़ता है
रुलाता है कभी कभी हंसाता है
दिल तो बच्चा है बड़ा ही स्वार्थी है
अपना ही स्वार्थ ये देखे बड़ा ही लोभी है
वह साथी मन के दूर दूर है हम एक दूजे से
पर ये दिल मेरा मेरे बस में नहीं ।