लड़के नहीं रोते
लड़के नहीं रोते
भले कितना ही तकलीफ़ में हों
संयम फिर भी खोते नहीं
क्योंकि वो तो लड़के हैं
और लड़के कभी रोते नहीं
वह भी तो इंसान ही हैं
दर्द उनको भी तो होता है
जब कहता है कोई उनको गलत
तो महसूस उनको भी होता है
यह सब बात हैं कहने की
के मर्द को दर्द नहीं होता
और इसीलिए वह नहीं रोता
छोटी-छोटी परेशानी में
माँ से गले लगने को उनका
भी जी चाहता है
वह भी अपनी ग़लतियों पर
लड़की की तरह पछताता है
वह भी है अंदर से कोमल
भले बाहर से दिखता कठोर है
हर परेशानी झेल लेते अकेले
फ़िर भी उन्हें समझता ना
कोई और है
घर-परिवार की ख़ुशियों ख़ातिर
वह भी कर लेते कितने समझौते
पर वह लड़के हैं
शायद इसीलिए बड़ी से
बड़ी तकलीफ़ में भी
कभी चाह कर भी नहीं रोते...