ख़्वाब
ख़्वाब
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हर शब्द हर वक्त तुझे झूठा ही लगेगा यहाँ,
जो तूने प्रेम का ढाई अक्षर गर पढ़ा ही नहीं,
जो कहता हूँ सच है ऐ मेरे दिल सुन तो ज़रा,
ख़्वाब दिलों के बाहर तूने कभी गढ़ा ही नहीं।।