आज भी है
आज भी है
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कुछ लम्हों की बातें है
कुछ लम्हों का साथ है
कुछ लम्हों की यादें है
और कुछ लम्हों का इंतज़ार आज भी है
सब कुछ तो है
पर खालीपन भी है
हर रंगीनी मुस्कुराती है
और कुछ रंगों का इंतज़ार आज भी है
क्या पाया नही जानती
क्या खोया ये भी नही पता
मस्तिष्क कहीं शून्य में है
और किसी मंज़िल का इंतज़ार आज भी है
वक़्त बीते..कोई मलाल नही
अच्छा हुआ जो बीत गए
ना बचपन की चाह ना जवानी की उमंग है
और बुढ़ापे का इंतज़ार आज भी है।