हाँ मैं कवि हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
मेरी दुनिया अलग है।
जब दुनिया जागती है
मैं ख्यालों में खोयी रहती हूँ
और जब दुनिया सोती है
मैं कागज़ ले जागती रहती हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
मेरी दुनिया अलग है।
जब दुनिया शोर मचाती है
मुझे शांति पसंद आती है
और जब दुनिया शांत होती है
मैं कागज़ पर लिखती रहती हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
मेरी दुनिया अलग है।
जब दुनिया मेले सजाती है
मुझे विराने भाते है
और जब दुनिया खो जाती है
मैं कागज़ पर दुनिया बसाती हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
मेरी दुनिया अलग है।
दुनिया जिती है खुद के रंजो ग़म मे
मैं दुनिया के दर्द समेटने लगती हूँ
सिमटी हुई हक़ीकत कागज़ पर बयां कर
मैं तन्हाई तलाशती हूँ
हाँ मैं कवि हूँ
मेरी दुनिया अलग है।