अनकही बाते
अनकही बाते
गर सफलता पानी है तो,
एक एक सीढ़ी चढ़ते चले जाओ
पीछे मुड़कर मत देखो,
क्योंकि बहुत से गिराने वाले हाथ,
रास्ता देख रहे होंगे।
आपको अपने कर्म करते जाना है,
कोई क्या बोल रहा, क्यों बोल रहा है,
इसकी चिंता नही करनी है।
आज चाहे तुमारे हाथ खाली है,
गम ना करना मेहनत करते जाओ
कामयाबी तुमारे कदम चूमेगी।
अपनी लिखी बातें,
अपनी लिखी कवितायें,
हमको खुद भी याद नही रहती।
कब हमने क्या लिखा था याद नही रहता,
इन चन्द बरसो में इतना लिख दिया
कि कोई हिसाब ही नही।
जब कभी पुरानी यादों में पढ़ते है
वो बाते तो खुद भी हैरान हो जाते है।
कुछ यादों के सिवा कुछ संभालकर नही रखा
क्योंकि कुछ अलग सी है आदत अपनी।
कितनी अनकही बातें लिखी पड़ी है
हमारी डायरी में जो हम कहना चाहते है,
पर खुद भी अब उस डायरी को खोल कर कभी देखते नही
क्यों कि दिल मे जब जो होता है
वो ही बयान करने की आदत सी बन गईं है।