बचपन
बचपन
खुशियाँ कभी सुविधाओं की,
मोहताज नहीं होती !
बचपना पले भले, अभावों में,
कभी मायूस नहीं होता !
चांद को कैद करने की,
तमन्ना मरती नहीं कभी !
मुठ्ठियों में जगमगाते सितारे,
मानते नहीं बंदिश कोई !
नंगे बदन, भूखे पेट,
पत्थरों पर सोता बचपन !
आंखों में पलते सपनों को,
छीन नहीं सकता कोई !
बचपन की खुशियाँ जैसे,
रेत की मृग मरीचिका सा छल !
उछाले पानी की बूँदें,
बनकर गिरते हीरे के कण !
बचपन सभी का एक जैसा,
टाट हो बिछौना या हो मखमल !
मन कभी माने न भेद कोई,
जीवन--धारा दौड़े समतल !
नर्म सपनों के संसार में,
बादल देते दस्तक.....
परियों का देश, जादू का खिलौना
बच्चे का मन होता रूई सरीखा !