सेना में बाबू
सेना में बाबू
बाबूओं के व्यवहार से जब शासन हुआ व्यथित,
सोचा करना पड़ेगा उनको थोड़ा सा व्यवस्थित!
ये आदेश हुआ कि हर बाबू सेना को देगा सेवाएं,
दो माह के लिए जाकर कश्मीर में छुट्टियाँ मनाएं!
हुआ क्या ऐसा कि ये आदेश करना पड़ा निरस्त,
शासन भी उनको सुधारने में हो गया जो पूरा पस्त!
जब एक बाबू को सेना में स्थानांतरित किया गया,
जाकर उसने दफ़्तर में ये नियम बनाया नया-नया!
सेना को हथियार सिर्फ दो से पांच में इशू किये जाएंगे,
इसके बाद आये फिर खाली हाथ युद्ध में जाएंगे!
हथियारों की गोलियां भी सिर्फ बीस ही दी जाएंगी,
बाकी गोलियां आगे के लिए स्टॉक में रखी जाएंगी!
बाबू, युद्ध के लिए रहेगा सिर्फ़ नौ से पांच अवेलेबल,
उस अकेले की उपस्थिति से मिलेगा सेना को बल!
९ से ५ के भीतर भी उसको लंच-चाय भी लेना है,
उसको ख़ुद से मतलब है देश से क्या लेना-देना है!
दुश्मन देश की सेना अगर अपने गढ़ में घुस आएगी,
तो बाबूगिरी बाबुओं के मन से तो ये आवाज़ लगाएगी!
आज का समय पूरा हो गया है अब ये बाबू कल लड़ेगा,
ये बाबू आपको कल इसी जगह, इसी मेज़ पर मिलेगा!
दुश्मन से युद्ध ज़मीनी नहीं फाइलों में लड़ा जाने लगा,
फाइलों को दफ़्तर में बैठा बाबू महीनों लटकाने लगा!
दुश्मन जब ज़मीन पर बढ़कर कश्मीर छीन ले जाएगा,
तब जा बाबुओं को बाबुओं से लड़ने का ऑर्डर आएगा!