मैं ना चाहूं हीरे मोती....
मैं ना चाहूं हीरे मोती....
आदरणीय कैलाश खेर जी का बेहद मशहूर गीत
"सैयां" के एक लाइन को आधार बनाकर
मैंने इस गीत की रचना की है।
"तेरे नाम से जुड़े हैं सब नाते"
"सैयां........"
छोड़ के तुझको सँसार कैसा
चाहिए सनम मुझे तुम जैसा
मुझे क्या पता, तुझे है पता
तू दरख़्त है मैँ तेरी लता
तू दरख़्त है मैं तेरी लता
सैयां......
सनम कह दे जो तू प्यार से
तेरी साँसों में सिमट आऊँ
लेके तुझे अपनी बाँहों में
तुझमें ही फ़ना हो जाऊँ
मैं बस तुम हो जाऊँ
सैयां......
बिखरे बिखरे गेसू उखड़ी हुई साँसें
जज़्बातों की उठती गिरती लहरें
तेरे पास आके रुक जाऊँ
कैसे दिल को समझाऊँ
हाये मैं क्या ही करूँ
कैसे तुझे पुकारूँ
तेरे नाम से जुड़े हैं सब नाते
सैयां.......
बन के धागा साँसों का
तेरे सीने में ठहर जाऊँ
होठों पे लफ़्ज़ बनकर
अपनी कान में उतर जाऊँ
तू कहे एक बार जो
सैयां.......
ये नशे का अहसास है चढ़ता ही जाये
इस दिल को कोई आवाज़ लगाए
चंचल हुआ मन
स्पंदित है ये तन
बेख़ुदी कैसी ये छाई
हुई अपनी ही जाँ पराई
तू जो अपनी बाँहों में सुलाये
सैयां......