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सोनी गुप्ता

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सोनी गुप्ता

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बचपन जीने दो

बचपन जीने दो

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अभी तो छोटे बच्चे हैं हम ,बचपन हमको जीने दो, 

मुस्कुराते हुए कर जीवन का ,आनंद अमृत पीने दो, 

अभी-अभी तो हमने बाहर निकलकर जीना सीखा, 

समेटकर खुशियाँ झोली में जी भर हमको हंसने दो, 

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I


भविष्य के उपवन की नन्हीं-नन्हीं सुंदर कली हैं हम, 

हम नन्हीं-नन्हीं कलियों को,अब तो मुकुलित होने दो, 

करने दो हमको हंसी-ठहाका और खूब धूम- धड़ाका, 

हमें रोककर ऐसे हमारे बचपन को ऐसे ना खोने दो,

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I


सुन लो हमारी हम बच्चों के भी बहुत से अरमान हैं, 

हम बच्चों को अपने सभी अरमानों को पूरे करने दो, 

हमारी बातों में आप सब रोक - टोक क्यों करते हो? 

मनमानी करके हमें भी,अनुभवों से कुछ सीखने दो,

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I


खेलकूद के दिन हैं हमारे ,काम का बोझ ना डालो, 

जिम्मेदारी से दूर , हमें बच्चों के दुनिया में रहने दो, 

पढ़- पढ़कर थक गया हूँ ,अब कितना और पढ़ूँ मैं, 

लक्ष्य, भविष्य का अब तो, स्वयं हमें भी चुनने दो,

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I


नाचेंगे, गाएंगे, मौज मनाएंगे, खूब मस्ती करेंगे हम, 

हंसी ठहाका धूम धड़ाका, जीवन को ऐसे जीने दो,

लंगड़ी टांग, खो-खो और अक्कड़ बक्कड़ खेलेंगे, 

हंसते-रोते हमको अब खुशियों का पिटारा भरने दो, 

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I


हम बच्चों को बच्चा समझकर, दर्द हमारा समझो, 

बचपन के कुछ पल अपनी इच्छा से हमें जीने दो, 

बचपन में उठती शंकाओं का समाधान कर डालो, 

बुझ जाएगी स्वयं पिलासा, हमें भी कुछ कहने दो, 

हृदय हमारा कोमल है बचपन को बचपन रहने दो I



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