बस्ते का परिमाण
बस्ते का परिमाण
1 min
398
बचपन को तुलते देखा है,
बस्ते के परिमाण में।
कभी दिखावे में जलते,
कभी झुलसते नाम में।
यही दिखावा, भरता है निज,
स्वार्थ -जनित मनुजों के घर।
यही कर उठा-पटक कतरे है,
निज, कोमल-छुटपन के पर।
बचपन बह जाता न जाने,
कब अहं की धार में,
बचपन को तुलते देखा है....