छूने चले हम आसमाँ
छूने चले हम आसमाँ
कोई मक्कारी नहीं होती, बच्चों का मन साफ होता है
कुछ शरारतें, कुछ गलतियाँ, उनको सब माफ़ होता है।
अपना लक्ष्य पाने की ललक सब कुछ भुला देती है
जीतने पर उनकी आँखों की चमक सब बता देती है।
किसी भी चुनौती को वो मुश्किल नहीं मानते हैं
आज कल के बच्चे आसमान को भी छूना जानते हैं।
हार और जीत मैं बस थोड़ी सी दूरी होती है
कभी कभी हमारी मदद की सीढ़ी जरूरी होती है।
मुश्किलें जिंदगी के हर पड़ाव में हैं, इस जहान में
उनको पक्षिओं की तरह उड़ने दो आसमान में।
देश प्रेम उनकी राग राग में बसने दो
सब बंदिशें हटा दो, दिल खोल के उन्हें हँसने दो।
नए नए ख्वाब उनको बुनने दो
उन्हें अपने दिल की सुनने दो।