उदास ताला
उदास ताला
मेरे सामने वाले घर में,
एक नए पड़ोसी आए हैं।
नया नजरिया है उनका और
बड़े खूबसूरती से सजाएं हैं।
कहते हैं घर तो छोटा है,
लेकिन बड़ा आरामदायक है।
यहां शांति के साथ सुकून और,
हम सब यहां रहने के लायक हैं।
बड़े दिनों से ताला लगा था,
चलो अच्छा है आज खुल ही गया।
घर को आखिर चहल पहल के लिए,
कोई फिर से मिल ही गया।
हाँ, मैंने उस घर को बहुत दिनों से,
एक कोने में शांत देखा है।
सन्नाटे में पड़ा है और त्योहारों में,
उसे चुपचाप एकांत देखा है।
खुश हूं मैं भी चलो को अच्छा है,
यहां भी आकर कोई रहना चाहता है।
क्योंकि हर घर की तरह ये घर भी,
दिवाली और होली मनाना चाहता है।
पर क्या कहे जल्द में ही सुना मैंने,
नया घर पाकर वो कहीं और जा रहे हैं।
पूछा मैंने तो कहने लगे कि हम भी,
बी.एच.के का तरीका अपना रहे हैं।
वो सब तो साथ निकलने लगे,
लेकिन वो घर अकेला वहीं खड़ा था,
सभी बेहद खुश दिखाई दे रहे थे,
पर दरवाजे पर उदास ताला पड़ा था।