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Prashant Shinde

Others

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Prashant Shinde

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श्री कृष्ण...!

श्री कृष्ण...!

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**५१ नामाची

श्रीकृष्ण नामावली

अभंग (६६६४)...!**

कृष्ण हा जगती। आकर्षित करे।

पाहुनी त्याला रे । चित्त हरे।।


गिरीधर कुंज । विहार करितो।

पर्वत धरीतो। करांगुली।।


मुरलीधर हा। वाजवी मुरली।

वाटे ही कसली।जादूगरी।।


पितांबर धारी। रूप मनोहर।

सजतेअंबर।पाहोनिया।।


मधुसूदन हा। वीर खरोखर।

दैत्यास जर्जर। करीतसे।।


देवकी नंदन। यशोदा भूषण।

मातोश्रीचा प्राण। प्रेमपुत्र।।


गोपाल श्रीहरी। खोडकर भारी।

वनी गायी चारी।मनोभावे।।


गोविंद म्हणती। प्रेमाचिये पायी।

ठायी ठायी गायी। मनामध्ये।।


आनंद कंद हा। आनंद वाटण्या।

आला जणू देण्या। मनसोक्त।।


कुंज्ज बिहारी हे। रूप हो सावळे।

गल्लीतच खेळे।सदोदित।।


चक्रधारी ज्ञानी।सुदर्शन भार।

शक्ती ही अपार। घेवोनिया।।


श्याम नाम यास।असेच पडले।

सावळे दिसले। रंगरूप।।


माधव साजरा।माया हा दाखवी।

जणू पूजा व्हावी। आपसूक।।


मुरारी निर्भीड। नावे ही अनेक।

शत्रू मुर एक। दैत्यरूपी।।


असुरारी नाम। लाभले हे छान।

सर्वत्र हा मान। मिळतसे।।


बनवारी कृष्ण। रानोरानी फिरे।

त्यासी काय नुरे।जीवनात।।


मुकुंद मोहक। मुबलक धन।

मोठाले हे मन। ठेवीतसे।।


योगीश्वर जनी। योग्यांचे हे देव।

जगी एकमेव।म्हणविती।।


आनंद कंद हा। आनंद वाटण्या।

आला जणू देण्या। मनसोक्त।।


हरी म्हणे कोणी। शेजारी पाजारी।

सदा दुःख हारी।क्षणार्धात।।


मदन सुंदर। सजीरा गोजीरा।

मिस्कील लाजरा। एकटाच।।


मनोहर नाव। मनाचे हरण।

होण्यास कारण। घडलेही।।


मोहन म्हणती। संमोहित होता।

जन जाता येता । सकारण ।।


जगदीश श्रेष्ठ । विश्वात शोभले।

श्रेष्ठत्व हे आले।पायाशी रे।।


पालनहार हे। जगताचे स्वामी।

येतीलही कामी। आपल्याही।।


कंसारी मुरारी। खरा हा श्रीहरी।

भारी शत्रूवरी।पडतसे।।


रुक्मिणी वल्लभ। रुक्मिणी चे पती।

कामातही गती। राखतसे।।


केशव माधव।जलात निवास।

शत्रू केशी खास।सांगतसे।।


वासुदेव साधे।आम्हास माहीत।

गळ्याचा ताईत। मिरवीत।।


रणछोर खरे।आपलेच वीर।

घेती पाठीवर । गुण दोष।।


गुडाकेश हाची। नित्य हारी निद्रा।

तरी गोड मुद्रा। ठेवोनिया।।


ऋषिकेश देव। नाम हे मिरवी ।

भक्तांचे करवी। चिरंतन ।।


सारथी कोणा हा । जाणतो आम्हीही।

जाणता तुम्हीही।अर्जुनाचा।।


पूर्ण परब्रह्म । सर्वांचा मालक।

एकचि चालक। परब्रह्म ।।


देवेश म्हणती। याला सारेजण।

याचा कणकण।अलौकिक।।


हा नाग नथीयां। नर्तन करितो।

कालियाच्या माथी। मनोहर।।


वृष्णिपति हा। कुलोत्पन्न साजे।

राजस विराजे। भक्ती भावे।।


यदुपती नामे ।यदु कुलवासी।

स्वयंम निवासी। स्वयंभूच।।


यदुवंशी वीर।यदुविर नाम।

अवतार राम।खरोखर।।


द्वारकाधिश हे। पालनहार हे।

तारणहार हे। द्वारकेचे।।


नागर म्हणती।अतीव प्रेमाने।

पहावे नेमाने।सदोदित।।


छलिया सुंदर। छल करीतसे।

जाणून माणसे। मनोमन।।


मथुरा निवासी।गोकुल नंदन।

करूया वंदन । पाहोनिया।।


रमण रमे हा।आपल्याच नादी।

अनंत अनादी। राहोनिया।।


दामोदर दोर।पोटाशी बांधून।

राहिला बंधून।तयामध्ये ।।


अघाहारी देव। जाणे भक्त जन।

राही सदा मन । चरणाशी।।


सखा सर्व काळ। राही मिसळून।

सुदामा अर्जुन। सवंगडी।।


रास रचिया कोणी।म्हणती देवास।

बांधून कयास।मनोमनी।।


अच्युत माधव। हे नामाभिधान।

मोक्ष पायापाशी।लाभतसे।।


नंद लाला बाळ। हा देव गोपाळ।

सजवे गोकुळ।आनंदाने ।।


रचिला अभंग।आनंदे प्रशांत।

शिंदे कुल शांत । जगतात।।


एक्कावन्न नामे।श्रीहरी मिरवी।

भक्तांचे करवी। भक्तिभावे।।


श्रीहरी श्रीहरी।गोपाळ मुरारी।

तू रे गिरधारी । मायबाप।।

।।शुभं भवंतु ।।


प्रशांत शिंदे,कोल्हापूर

8007740679


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