नशिबकी लात
नशिबकी लात
चलवो बाई कर घाई
तपनकी बेरा भई
झुरो भयोव धान
तपनलका टाकीस मान
गुत्ता रह गयोव त्
पटील उठाय टाके रान
इराला धार चढाव बाई
तोवर भाकर थापूसू वो माय
भरभर खायकन कमर कस
दुपारकी टाईम भईवो माय
कमर को दुखनो बाजूला ठेव
दुय दिवस सेती कमावनका
इस्कूल बिस्कूल बिसर जाय
उमर पडीसे सिकनकां
बिया तोरो सरपर से
पैसा बिगूर होय कसो
जवान बेटी घरपर बसे
यो पाप सवजिन कसो
बाप तोरो राबता राबता
अर्धो जवानीमां भयो बुढो
आमरी जींदगानी या
जसो कचरा काळी कुढो
उठ वो ,मोरी गाय
कस जरा बेटी कमर
सांज टाईमवरी
भय पायजे काटकन फसल
पटीलको गुस्सा लईसे भारी
वोको राग ला नाहाय सिमा
टाईमपर काम नही निकलेव त्
पटील बनाय आमरो किमा
ओको नमकका आमी आदी
झाडको पत्ता हल नही सक
काम नही निकलेव त्
पटीलको झेलनो पडे रोख
उपकार उनका
सरपर भारी
वयच देव,माय बाप
बिगूर उनको कोण तारी
आटोप आता टाईम भई
सकाळको तपन सरपर आयी
यन जनमका भोग
खुसी खुसी काटबीन बाई
